“ धर्मो रक्षति रक्षितः ” मनुस्मृति का यह आदर्श वाक्य सभी हिन्दुओं के लिए प्रासंगिक है किन्तु ब्राह्मणों के लिए गुरुत्तर उत्तरदायित्व है. धर्म को शक्ति देकर ही हम पुन: शक्तिशाली बन सकते हैं और समाज की रक्षा कर सकते हैं.